तो दोस्तों आइये हम भी पड़ते है इस लेखक को ......
१. पहली बार तो मरी नहीं है मेरी माँ....
पहली बार तो मरी नहीं है मेरी माँ,
मृत्यु से तो डरी नहीं है मेरी माँ |
आँसू बन कर छलक पड़ी थी कभी अभी,
गगरी दु:ख की भरी नहीं है मेरी माँ |
कष्टों की ज्वाला में तप कर कुंदन है,
कैसे कह दूं खरी नहीं है मेरी माँ |
उगे नहीं पर मन में काँटे गड़े रहे,
खिली रही पर झरी नहीं है मेरी माँ |
जीवन भर संधर्ष किया विपदाओं से,
सुख की तो सहचरी नहीं है मेरी माँ |
सुन्दर है, वह अंतर मन से सुंदर है,
कोई रूपसी परी नहीं है मेरी माँ |
२.चम्बल ..
कामधेनु की बढ़ी लाढली माता चम्बल,
तू अपने जल से देती है सबको सम्बल |
भरत और दुष्यंत वंश के महाप्रतापी,
रन्तिदेव के पुण्यों का ही तू है प्रतिफल |
बलिदानी गायों के चमडों से जन्मी जो,
बह निकली थी कभी रक्त की धारा चंचंल |
इसके जल में स्वाभिमान की लहरें उठती,
बागी शेर पालते इसके बीहड़ जंगल |
काली-सिंध, पार्वती, क्षिप्रा आत्मसात कर लेती,
और स्वयं यमुना में मिलती करती कल कल |
३.रे माधव, ऐसी मुक्ति तुम्हारी ..
रे माधव,
ऐसी मुक्ति तुम्हारी,
मृत्यु बनी शिकारी |
रिश्तों ने तोड़ी मर्यादा,
लड़ने लगा प्यादे से प्यादा,
राजा कहीं, बजीर कही हैं,
दुखी है इंसा सीधा साधा,
काट रही है एक दूजे को
तेज स्वार्थ की आरी |
छाई है हर ओर निराशा,
जाग रही है रक्त पिपशा,
लाशों के अम्बार लगे हैं,
पशु आदमी अच्छा खासा,
जरा जरा से स्वार्थ समेटे,
लड़ने की तैयारी |
४.असमय अस्त हो गया सूरज.....
असमय अस्त हो गया सूरज,
जाने कहाँ खो गया सूरज |
अनहोनी ये हुई सदा को,
गहरी नींद सो गया सूरज |
फूलों के चहरे मुरझाए,
गहरा दर्द बो गया सूरज |
भरी दुपहरी, भरे गले से,
सब ने कहा लो गया सूरज |
उदयाचल से अस्ताचल तक.
कितने दृश्य पो गया सूरज |
अरुण आँख से ओझल होकर,
परम-प्रकाश हो गया सूरज |
बहुत खूब ।
ReplyDeleteGreat!!! Heart Touching...
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